गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 14

 

 

 

क़िस्त 14

1

कहने को याराना।

वक़्त ज़रूरत वो,

हो जाता बेगाना।

 

2

दिल में जो लगी हो लौ,

आना चाहो तो

आने की राहें सौ।

 

3

रह-ए-इश्क़ में हूँ गाफ़िल.

दुनिया कहती है,

मंज़िल यह लाहासिल 1

 

4

इस दिल को तसल्ली है

कायम है अब भी

तेरी जो तजल्ली 2 है

 

 5

जुल्फ़ों को सुलझा लो,

या तो इन्हें बाँधो,

या मुझको उलझा लो।

 

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