गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 15

 

क़िस्त 15

1

ये रात, ये तनहाई,

सोने कब देती,

वो तेरी अंगड़ाई।

 

2

जो तू ने कहा, माना

तेरी निगाहों में,

फिर भी हूँ अनजाना।

 

3

कुछ दर्द-ए-ज़माना है,

और ग़म-ए-जानां 1

जीने का बहाना है

 

4

कूचे जो गए तेरे,

सजदे से पहले,

याद आए गुनह मेरे।

 

5

इक वो भी ज़माना था,

जब जब तुम रूठी,

मुझको ही मनाना था।

 

1 प्रेयसी का ग़म

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