गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 20

 

 

क़िस्त 20

1

दम झूठ का भरते हो,

क्या है मजबूरी,

जो सच से डरते  हो ?

 

2

मालूम तो था मंज़िल,

राहें भी मालूम,

क्यों दिल को लगी मुश्किल ?

 

3

करता भी क्या करता,

पर्दे के पीछे

इक और बड़ा परदा।

 

4

ताउम्र वफ़ा करते,

मिल जाते गर तुम,

फिर हम न ख़ता करते।

 

5

ये हाथ न छूटेगा,

साँस भले छूटे,

पर साथ न छूटेगा।

 

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