गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 21

 

 

क़िस्त 21

1

जब जब चलती हो तुम,

लहरा कर जुल्फ़ें,

दिल हो जाता है गुम।

 

2

पर्दा जो उठा लेंगे,

जिस दिन वो अपना,

हम जान लुटा देंगे।

 

3

चादर न धुली होगी,

जाने से पहले,

मुठ्ठी भी खुली होगी।

 

4

दिल ऐसा हुआ पागल,

हर आहट समझा

 झनकी तेरी पायल

 

5

पा कर भी है खोना,

टूटे सपनों का,

फिर क्या रोना-धोना !

 

 

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