शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 26

 

क़िस्त 26

:1:

इतना तो कर साथी,

आ जा चुपके से,

कर दिल में घर साथी।

 

 :2:

साँसो का बन्धन है,

टूटेगा कैसे ?

रिश्ता जो पावन है।

 

 :3:

दिल और धड़कने दो,

रुख पर है पर्दा,

कुछ और सरकने दो।

 

 :4:

अपनी तो आदत है,

हुस्न परस्ती1 में,

दिल राह-ए-ज़ियारत 2 है।

 

5
करता हूँ ख़ता फिर भी,

लाख ख़फ़ा हो कर,

करता वो वफ़ा फिर भी।

 

1 सौन्दर्य पर मुग्धता

2 पूजन मार्ग पर

 

 

 

 

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