क़िस्त 27
:1:
इठला कर चलता है,
जैसा हो मौसम,
ईमान बदलता है।
:2:
इक आस अभी बाक़ी,
तेरे आने तक,
इक साँस अभी बाक़ी।
:3:
क्या रंग-ए-क़यामत है,
लहरा कर चलना,
कुछ
उसकी आदत है।
:4:
गर्दिश में रहे
जब हम,
दूर खड़ी दुनिया,
पर साथ खड़े थे
ग़म।
5
कब एक-सा चलता
है,
सुख-दुख का
मौसम,
मौसम है, बदलता
है।
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