शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 28

 

 क़िस्त 28

 

:1:

हर बुत में नज़र आया.

वो ही दिखा सब में,

जब दिल में उतर आया।

 

 :2:

जाना है तेरे दर तक,

ढूँढ रहा हूँ मैं,

इक राह तेरे घर तक।

 

:3:

पंछी ने कब माना,

मन्दिर मस्जिद का,

होता है अलग दाना।

 

 :4:

किस मोड़ पे आज खड़े ?

क़त्ल हुआ इन्सां,

मज़हब मज़ह्ब से लड़े।

 

5

इक, दो अंगारों से,

क्या समझोगे ग़म,

दरिया का, किनारों से

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