:1:
हर बुत में नज़र आया.
वो ही दिखा सब में,
जब दिल में उतर आया।
:2:
जाना है तेरे दर तक,
ढूँढ रहा हूँ मैं,
इक राह तेरे घर तक।
:3:
पंछी ने कब माना,
मन्दिर मस्जिद
का,
होता है अलग
दाना।
:4:
किस मोड़ पे आज
खड़े ?
क़त्ल हुआ इन्सां,
मज़हब मज़ह्ब से लड़े।
5
इक, दो
अंगारों से,
क्या समझोगे ग़म,
दरिया का, किनारों
से
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