शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 29

 क़िस्त 29

:1:

दीवार उठाते हो,

तनहा जब होते,

फिर क्यूँ घबराते हो?

 

 :2:

इतना भी सताना क्या !

दम ही निकल जाए,

फिर बाद में आना क्या !

 

 :3;

ये हुस्न की रानाई,

तड़पेगी यूँ ही

गर हो न पज़ीराई।

 

 :4:

दुनिया के सारे ग़म,

इश्क़ में ढल जाए

बदलेगा तब मौसम।

 

5
क्या हाल बताना है,

तेरे फ़साने में 

मेरा भी फ़साना है। 

 

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