शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 30

 क़िस्त 30

 

:1:

तुम से गर जुड़ना है,

मतलब है इस का,

बस ख़ुद से बिछुड़ना है।

 

 :2:

आने को आ जाऊँ,

रोक रहा कोई

कैसे मैं ठुकराऊँ ?

 

 :3:

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत है,

जिस के लिए मेरी

दुनिया से अदावत है।

 

 :4;

दीदार हुआ जब से,

जो भी रहा बाक़ी

ईमान गया तब से।

 

5

जब तू ही मेरे दिल में,

ढूँढ रहा हूँ मैं

फिर किस को महफ़िल में ?

 

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