क़िस्त 32
:1:
जब तुम ने नहीं माना,
टूटे रिश्तों को
फिर क्या ढोते जाना।
:2:
इस दिल ने पुकारा है,
ख़ामोशी तेरी
मुझ को न गवारा है।
:3:
तुम तोड़ गए सपने,
ऐसा भी होगा
सोचा था नहीं
हमने।
:4:
जब तुम को छकाना
है,
आँख मिचौली में
तुम से छुप जाना
है।
5
हर रंग
जो सच्चा है,
प्रीति
मिला दें तो
हर रंग
से अच्छा है।
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