क़िस्त 33
1
भर दो इस झोली में,
प्यार भरे सपने
इस बार की होली में।
2
मत मारो पिचकारी,
कोरी है अबतक
तन की मेरी सारी।
3
रंगोली आँगन की,
देख रही राहें
साजन के आवन की।
4
मन ऐसा रँगा
माहिया,
जितना मैं धोऊँ
उतना ही चढ़ा
माहिया।
5
मुश्किल की पहल
आए,
सब्र न खो देना
इक राह निकल आए।
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