क़िस्त 34
:1:
पूछा तो कभी होता,
मेरे इस दिल से,
यह किस के लिए रोता?
:2:
सोने भी नहीं देतीं,
यादें अब तेरी
रोने भी नहीं देतीं।
:3:
क्यों मन से हारे हो?
जीते जी मर कर
अब किस के सहारे हो?
:4:
ग़ैरों की सुना करते,
मेरी भी सुनते
क्यूँ तुम से गिला करते।
5
वो शाम सुहानी
है,
शामिल है जिस
में,
कुछ याद पुरानी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें