क़िस्त 35
:1:
सजदे में इधर हैं
हम,
और उधर दिल है
दर पर तेरे जानम।
;2;
जब से है तुम्हें देखा,
दिल ने कब मानी
कोई लछ्मन रेखा।
:3:
क्या बात हुई ऐसी?
दिल
में अब तेरे,
चाहत न रही वैसी।
:4:
समझो न कि पानी है,
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है।
5
इक राह अनोखी है,
जाना है सब को
पर किसने देखी
है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें