क़िस्त 36
:1:
दुनिया को दिखाना क्या !
दिल न मिलाना तो
फिर हाथ मिलाना क्या !
:2:
कुछ तुम को ख़बर भी है?
मेरे भी दिल में
इक शौक़-ए-नज़र 1 भी है।
:3:
गुरबत में हो जब
दिल,
दर्द कहूँ किस
से
कहना भी है मुश्किल।
:4;
अनबन हो भले
जानम,
तुम पे भरोसा है
रूठो न करो, हमदम
!
5
कहता है कहने दो,
ज़ाहिद की बातें
ज़ाहिद तक रहने दो।
1 प्रेम भरी दृष्टि
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