शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 37

 क़िस्त 37

 

:1:

 यह दिल  ख़ामोश रहा,

कह न सका कुछ भी

इसका अफ़सोस रहा।

 

  ;2:

  ये कैसी रवायत है?

  जाने क्यों तुम को

  मुझ से ही शिकायत है?

 

  :3:

 तुम ने ही बनाया है, 

 ख़ाक से जब मुझ को 

फिर ऐब क्यों आया है?

 

  :4:

 सच है, इनकार नहीं,

 तूर’ 1 पे आए, वो

 लेकिन दीदार नहीं 

 

5

मुझको अनजाने में,

लोग पढ़ेंगे कल

तेरे अफ़साने में।

 

1 तूर [ कोह-ए-तूर] – उस पहाड़ का नाम है जहाँ हज़रत मूसा ने अल्लाह का जल्वा देखा,

 बातचीत की मगर ’दीदार’ फिर भी न हुआ।

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें