शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 38

 क़िस्त 38

:1:

जिनका हूँ दीवाना,

देख रहें हैं, वो

जैसे मैं बेगाना।

 

 :2:

कोरी न चुनरिया है,

कैसे मैं आऊँ ?

खाली भी गगरिया है।

 

 ;3:

कुछ भी तो नहीं लेती,

ख़ुशबू गुलशन की

फूलों का पता देती।

 

 :4:

दुनिया का मेला है,

सब अपने ही हैं,

दिल फिर भी अकेला है।

 

5

केसर की क्यारी में,

ज़हर उगाने की

सब क्यों तैयारी में ?

 

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