शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 40

 क़िस्त 40

 :1:

 जीवन की निशानी है,

 रमता जोगी है

 और बहता पानी है।

 

  ;2:

 मथुरा या काशी क्या,

 मन ही नहीं चमका

 घट क्या, घटवासी क्या।

 

  :3:

 ख़ुद को देखा होता,

 मन के दरपन में

तो सच का पता होता।

 

  :4:

 बेताब न हो, ऎ दिल!

 लौ तो जगा पहले

 फिर जाकर उनसे मिल।

 

5

इतना ही समझ लेना,

 मै हूँ तो तुम हो

 क्या और सनद देना।

 

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