शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 41

क़िस्त 41

 

:1:

 सदक़ात भुला मेरा,

 एक गुनह तुम को

 बस याद रहा मेरा।

 

:2:

 इक चेहरा क्या भाया,

 हर चेहरे में वो

 मख़्सूस1 नज़र आया।

 

;3:

हो जाता हूँ पागल, 

 जब जब काँधे से

 ढलता है तेरा आँचल।

 

 4

उल्फ़त की यही ख़ूबी.

पार लगी उसकी

कश्ती जिसकी डूबी ।

 

5

क्या और तवाफ़2 करूँ,

 इतना ही समझा,

 मन पहले साफ़ करूँ।

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