क़िस्त 43
:1:
हर साँस अमानत है,
जितनी भी हासिल,
तेरी ही इनायत है।
:2:
सब ज़ेर-ए-नज़र उनकी,
कौन छुपा उन से?
उन को है ख़बर सबकी।
:3:
कब मैने सोचा था.
टूट गया वो भी
जो तुम पे भरोसा
था।
:4:
इतना जो मिटाया
है,
और मिटा देते
दम लब पर आया है।
5
आँखों में
शरमाना,
कुछ तो है दिल
में,
रह रह कर घबराना।
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