शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 44

 क़िस्त 44

 

 :1:

खुद तूने बनाया है.

माया का पिंजरा,

ख़ुद क़ैद में आया है।

 

:2:

किस बात का है रोना?

छोड़ ही जाना है

फिर क्या पाना, खोना ?

 

 :3:

जब चाँद नहीं उतरा,

खिड़की मे, तो फिर

किसका चेहरा उभरा ?

 

 :4:

जब तुमने पुकारा है

कौन यहाँ ठहरा ?

लौटा न दुबारा है।

 

5

वो प्यार भरी बातें,

अच्छी लगती थीं,

छुप छुप के मुलाकातें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें