शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 45

 क़िस्त 45

  :1:

सब ग़म के भँवर में हैं,

कौन किसे पूछे?

सब अपने सफ़र में हैं।

 

 ;2:

अपना ही भला देखा,

कब मैने देखी,

अपनी लक्षमन रेखा?

 

 :3:

माया की नगरी में,

बाँधोंगे कब तक

इस धूप को गठरी में ?

 

 :4:

होठों पे तराने हैं,

आँखों में किसके

बोलो, अफ़साने हैं ?

 

5

जो चाहे, दे देना,

चाहत क्या मेरी
आँखों से समझ लेना।

 

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