क़िस्त-47
:1:
सब साफ़ दिखे मन से,
धूल हटा पहले,
इस मन के दरपन से ।
:2:
अब इश्क़ नुमाई1 क्या !
दिल से तुम्हे चाहा,
हर रोज़ गवाही क्या !
:3:
मरने के ठिकाने सौ,
दुनिया में फिर भी,
जीने के बहाने सौ।
:4:
क्या ढूँढ रहा, पगले!
मिल जायेगा वो,
मन तो बस में कर ले।
5
माया को सच माना,
मद में है
प्राणी.
उफ़! कितना
अनजाना।
1 प्रेम प्रदर्शन
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