क़िस्त 55
1
जब जब घिरते बादल,
प्यासी धरती क्यों,
होने लगती पागल ?
:2:
भूले से कभी आते,
मेरी दुनिया में,
वादा तो निभा जाते।
:3:
इस
मन में उलझन है,
धुँधला
है जब तक,
यह
मन का दरपन है।
:4:
जब
छोड़ के जाना था,
फिर
क्यों आए थे ?
क्या
दिल बहलाना था ?
5
अब
और कहाँ जाना,
तेरी
आँखों का
यह
छोड़ के मयखाना।
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