शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 55

 क़िस्त 55

1

जब जब घिरते बादल,

प्यासी धरती क्यों,

होने लगती पागल ?

 

:2:

भूले से कभी आते,

मेरी दुनिया में,

वादा तो निभा जाते।

 

:3:

इस मन में उलझन है,

धुँधला है जब तक,

यह मन का दरपन है।

 

 :4:

जब छोड़ के जाना था,

फिर क्यों आए थे ?

क्या दिल बहलाना था ?

 

5

अब और कहाँ जाना,

तेरी आँखों का

यह छोड़ के मयखाना।

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