शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 56

 क़िस्त-56

 

:1:

ये कैसी माया है?

तन तो है अपना,

मन तुझ में समाया है।

 

 :2:

इस फ़ानी हस्ती पर

दाँव लगाए ज्यों

कागज़ की कश्ती पर

 

 :3:

ये कैसा रिश्ता है,

ओझल है फिर भी,

दिल रमता रहता है।

 

:4:

बेचैन बहुत है दिल,

कब तक मैं तड़पूं?

अब तो बस आकर मिल।

 

:5:

अन्दर की सब बातें

लाख छुपाओ तुम

कह देती हैं आँखें

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