क़िस्त 57
1
वादा करना आसाँ
कौन निभाता है?
ऎ, मेरे दिल-ए-नादाँ
2
जब हो ही गए रुस्वा,
छोड़ो जाने दो,
क्या तुम से गिला शिकवा।
3
खुद को तो छुपा
लोगी
ख़ुशबू जुल्फ़ों
की
तुम कैसे
छुपाओगी?
4
ये ग़ैब अदा
किसकी?
दिल पे तारी है,
हर साँस सदा
किसकी?
5
तसवीर तेरी, बातें,
करती रहती हैं,
कटती रहती रातें|
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