क़िस्त-58
:1:
सदचाक हुआ दामन,
तेरी उलफ़त में,
बरबाद हुआ ’आनन’|
:2:
क्यों रूठी हो, हमदम!
कैसे मनाना है,
कुछ मुझ को सिखा जानम?
:3:
दिल ले ही लिया
तुमने,
जाँ भी ले लेते,
क्यों छोड़ दिया
तुमने ?
:4:
लहरा के न चल
पगली !
दिल पे रह रह के.
गिर जाती है
बिजली|
:5:
क्या पाना क्या
खोना,
जब से गए हो तुम,
दिल का खाली
कोना।
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