शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 58

 क़िस्त-58

:1:

सदचाक हुआ दामन,

तेरी उलफ़त में,

बरबाद हुआ ’आनन’|

 

:2:

क्यों रूठी हो, हमदम!

कैसे मनाना है,

कुछ मुझ को सिखा जानम?

 

:3:

दिल ले ही लिया तुमने,

जाँ भी ले लेते,

क्यों छोड़ दिया तुमने ?

 

:4:

लहरा के न चल पगली !

दिल पे रह रह के.

गिर जाती है बिजली|

 

:5:

क्या पाना क्या खोना,

जब से गए हो तुम,

दिल का खाली कोना।

 

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