शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 60

 क़िस्त 60

:1:

क्यों ख़्वाब-ए-जन्नत में

डूबा है, ज़ाहिद!

हूरों की जीनत में?

 

:2:

ये हुस्न की रानाई,

नाज़,अदा फिर क्या

गर हो न पज़ीराई !

 

:3:

ग़ैरों की बातों को,

मान लिया सच क्यों,

सब झूठी बातों को?

 

:4:

इतना ही फ़साना है,

फ़ानी दुनिया में,

बस आना-जाना है।,

 

:5:

तुम कहती, हम सुनते

बीत गए वो दिन,

सपने बुनते बुनते ।

 

 

 

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