शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 62

 क़िस्त 62

1

दिन भर का थका होगा,

कुछ न हुआ हासिल

दुनिया से ख़फ़ा  होगा।

 

2

अब लौट के है जाना,

एक भरम था जग,

उसको ही सच माना।

 

3

जब जाना है, बन्दे!

अब तो काट ज़रा,

माया के सब फन्दे।

 

4

तुम को न भरोसा है,

कोई है दिल में,

मिलने को रोता है।

 

5

इक मेरी मायूसी,

उस पर दुनिया की,

दिन भर कानाफ़ूसी।

 

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