शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 63

 क़िस्त 63

1

क्या दर्द बताऊँ, मैं ?

कौन सुनेगा अब,

फिर किसको सुनाऊँ मैं?

 

2

क्या तुमने था ठाना ?

छोड़ के दुनिया को,

चुपके से चले जाना।

 

3

किसकी पाबन्दी थी?

जाने की तुम को,

इतनी क्या जल्दी थी?

 

4

जितना भी जिया तुमने,

देने का सोचा,

कुछ भी न लिया तुमने।

 

5

दिन रात वही बातें

कैसे गुज़रे दिन,

कैसी बीती रातें?

 

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