शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 67

 क़िस्त 67

 

1

माया की राहों में,

क़ैद हुए हम हैं,

अपने ही गुनाहों में।

 

2

अपना भी कोई होता,

दिल मिल कर जिससे,

हँसता, गाता, रोता ।

 

3

सब दीन धरम ईमां,

नाक़िस हो जाते,

जब राह-ए-गुनह1 इंसां।

 

4

मन रहता उलझन में,

जाऊँगी कैसे ?

सौ दाग़ है दामन मे।

 

5

है कौन यहाँ ऐसा,

चाह नहीं जिसको,

सोना-चाँदी-पैसा ?

 

1 गुनाह के रास्ते

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