क़िस्त 68
1
दिल ने कब है रोका,
राह-ए-मुहब्बत में,
दुनिया ने बस टोका।
2
हल्की हल्की छाया,
धूप लगी इतनी,
मैं सो भी नहीं पाया।
3
हमदम भी वहीं
छूटा,
दिल में ख़ुदगरजी,
रिश्ता भी वहीं
टूटा।
4
कब तुम को आना
था?
कह तो दिया तुम
ने,
वादा न निभाना
था।
5
दिन रात की हैं
बातें,
सोच रहा है दिल,
कैसे हो
मुलाकातें।
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