शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 70

 क़िस्त 70

 

1

दुनिया का मेला है,

ख़त्म हुआ, साथी !

चलने की बेला है।

 

2

कहने को कहता है,

अपना होकर भी,

दिल में कब रहता है?

 

3

क्या क्या न कराती है,

माया कुर्सी की,

दस्तार1 गिराती है।

 

4

क्या पाया, क्या खोया,

इन्हीं ख़यालों में,

दिन रात नहीं सोया।

 

5

करता भी क्या करता,

पर्दे के पीछे,

इक और बड़ा परदा।

 

1 पगड़ी,इज्जत

 

  

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