शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 71

 क़िस्त 71

 

1

दिल है दरहम बरहम 1

चैन मिले कैसे?

आँखें भी हैं पुरनम 2

 

2

दीदार न होना है,

वाक़िफ़ हूँ मैं भी,

बस ख़्वाब सजोना है।

 

3

जीवन की राह अलग,

कितना मैं झुकता?

बस अपनी राह अलग।

 

4

क्या उन से अब कहना,

ज़ोर-ए-सितम 3 उनका,

दिल को है पड़ा सहना।

 

5

उनकी है निगहबानी,

हाल हमारा क्या,

बस रब की मिहरबानी।

 

1 अस्त-व्यस्त , 2 भरी हुई, अश्रु-पूरित 3 अत्याचार

 

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