शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 73

 क़िस्त 73

 

1

सुख दुख न ठहर पाता,

चाहे जैसा हो,

हर वक़्त गुज़र जाता।

 

2

जीवन के सफ़र में ग़म,

आते जाते हैं,

क्यों करता आँखें नम?

 

3

क्या क्या न पड़ा सहना,

क़ायम है लेकिन,

ईमान मेरा अपना?

 

4

ग़मनाक है क्यों ऐ दिल!

राह अलग सब की,

सब की अपनी मंज़िल।

 

5

करनी भी शिकायत क्या!

तुम ने कब समझा,

इस दिल की चाहत क्या?

 

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