क़िस्त 73
1
सुख दुख न ठहर पाता,
चाहे जैसा हो,
हर वक़्त गुज़र जाता।
2
जीवन के सफ़र में ग़म,
आते जाते हैं,
क्यों करता आँखें नम?
3
क्या क्या न पड़ा
सहना,
क़ायम है लेकिन,
ईमान मेरा अपना?
4
ग़मनाक है क्यों ऐ
दिल!
राह अलग सब की,
सब की अपनी
मंज़िल।
5
करनी भी शिकायत
क्या!
तुम ने कब समझा,
इस दिल की चाहत
क्या?
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