क़िस्त 76
1
पूछो मत सब बातें,
कैसे कटती हैं,
तुम बिन मेरी रातें!
2
सपने तो सुला देंगे,
याद तुम्हारी सब,
हम कैसे भुला देंगे?
3
वादा न निभाओगी,
झूठी कसमें ही
क्या खाते जाओगी?
4
तनहा तनहा रातें,
कोई नहीं मेरा,
सुन ले दिल की बातें।
5
इतने न भले हो तुम,
जैसा दिखते हो,
भीतर से जले हो तुम।
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