शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 80

 क़िस्त 80

 

1

यूँ रस्म-ए-वफ़ा सब से,

रहती है उन की।

बस हम से ख़फ़ा कब से 

 

2

ऐसी भी इयादत1 क्या !

ग़ैरों से पूछो,

आनन’ की हालत क्या?

 

3

ग़ैरों से रफ़ाक़त2 है,

लेकिन मुझ से ही

बस उनकॊ शिकायत है ?

 

"झूठी यह कहानी है "

हँस देती कह कर

जाओ, न सुनानी है। 

 

5

कलियों पर जब छलके,

मदमाता  यौवन,

गुलशन गुलशन महके।

 

 

 

 

1-   रोगी.मरीज का हाल पूछने ,ढाढस देने के लिए उसके पास जाना

2-   दोस्ती

 

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