क़िस्त 80
1
यूँ रस्म-ए-वफ़ा सब से,
रहती है उन की।
बस हम से ख़फ़ा कब से ।
2
ऐसी भी इयादत1
क्या !
ग़ैरों से पूछो,
’आनन’ की
हालत क्या?
3
ग़ैरों से रफ़ाक़त2
है,
लेकिन मुझ से ही
बस उनकॊ शिकायत
है ?
4
"झूठी
यह कहानी है "
हँस देती कह कर
जाओ, न
सुनानी है।
5
कलियों पर जब
छलके,
मदमाता यौवन,
गुलशन गुलशन
महके।
1-
रोगी.मरीज का हाल पूछने
,ढाढस देने के लिए उसके पास जाना
2-
दोस्ती
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