क़िस्त 82
1
कलियों में है हलचल,
लहराया तुम ने
जब से अपना आँचल।
2
मुझको तो भुला दोगे.
पर मेरी यादें,
तुम कैसे मिटा दोगे?
3
कैसे है शरमाना,
तुम से ही सीखा,
कलियों ने इतराना।
4
नैनों में बसे कोई,
प्यार नहीं सच्चा,
जब दिल को रचे कोई।
5
गिन गिन कर रातें
की,
तनहाई में दिल,
तसवीर से बातें
की।
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