शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 85

 क़िस्त 85

 

1
भँवरों की बात चली,
कलियों को लगती,
उनकी हर बात भली।
 

 

2

तुम छोड़ गए जब से, 

सूनी हैं रातें,

दिल रोता है तब से।

 

3

हर हर्फ़ उभर आया,

दिल पर कल मेरे,

खोया था ख़त, पाया।

 

4

दो शब्द में सौ बातें,

कितने ख़यालों से,

गुज़री होंगी रातें ? 

 

5

एहसास् तो मुझको है,

जितना है मुझको,

क्या उतना तुझको है ?

 

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