क़िस्त 88
1
अच्छा ही किया तुमने,
गिरने से पहले,
जो थाम लिया तुमने।
2
यादों में बसा रखना,
अपनी दुआओं में,
मेरी भी दुआ रखना।
3
पहले न कभी पूछा,
भूल गया हूँ मैं
?
ऐसा क्योंकर
सोचा ?
4
जो कह न सकी वो भी,
सुन मेरे माही !
जो सह न सकी वो भी।
5
सब याद है जान-ए-जिगर,
तुम ने निभाया
जो,
एहसान मेरे सर
पर ।
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