शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 90

 क़िस्त 90

1

रह-ए-इश्क़ से जो गुज़रा,
दीवाना हो कर,
फिरता सहरा सहरा।
 

2

जाने अनजाने में, 

उम्र गुज़र जाती,

सपने ही सजाने में। 

 

3

जीना आसान नहीं,

कौन यहाँ ऐसा, 

खुद से परेशान नहीं ?

 

4

दो दिल के बन्धन से,

अमरित भी निकले,

जीवन के मन्थन से।

 

5

इस दिल में उतर आओ,

महकेगा तन-मन,

अब और न तड़पाओ॥``      

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