अनुभूतियाँ 11
1
दो बरतन जब पास पास हों
लाजिम उनका टकराना है
छोड़ो छोटी-मोटी बातें
बोलो वापस कब आना
है ?
2
दशकों का था साथ पुराना
चाँदी से तुम मोल लगाए
सत्य यही है अगर तुम्हारा
तो फिर कौन तुम्हें समझाए ?
3
चाँद सितारों की बातें तो
लिख्खी हुई किताबों में है
चाँद तोड़ कर लाने वाली
बातें केवल बातॊं
में है
4
एक नहीं मैं ही दुनिया में
जिसकी कोई व्यथा पुरानी
एक नहीं ,दो नहीं ,हज़ारों
मेरी जैसी विरह कहानी
-आनन्द.पाठक-
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