गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 18

 

1
वह निर्णय स्वयं तुम्हारा था
क्या ग़लत रहा ,क्या सही रहा
अब कौन भला इस पर सोचे
जो दिल ने सोचा ,वही रहा
 
2
इतना न भरोसा कर ,पगले !
उड़ते बादल का ठिकाना क्या
 आज यहाँ ,कल और कहीं है
उसको हमराज़ बनाना  क्या  !
 
3
झूठे सपने मत देखा कर
दिन-रात यूँ ही जगते -सोते
दुनिया के नियम अलग ,प्यारे!
सपने कब ये  पूरे होते !
 
4
चुपके चुपके बातें करतीं
यादें तेरी तनहाई  में
क्या क्या सपन नहीं बुनते थे
जीवन की उस तरूणाई  में

-आनन्द.पाठक-


 


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