1
कोई चाहत बची न मन में
और न कुछ मन में दुविधा है
प्यार-मुहब्बत लगता है जैसे
नए ज़माने की सुविधा है
2
एक समय था वह भी जब तुम
मेरी ग़ज़ल हुआ करती थी
जीवन भर यह साथ रहेगा
बार बार तुम दम भरती थी
3
लेती हो दरपन के आगे
खड़ी खड़ी तुम जबअँगड़ाई
दरपन तो शरमा जाता
है
और इधर तुम भी शरमाई
4
सोच रही फिर क्यों तुम मुझको
क्या थी बुराई ,क्या अच्छा
है
नेक था कि बदनाम था ’आनन’
इन बातों में क्या रख्खा
है !
-आनन्द.पाठक-
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