अनुभूतियाँ 21
1
बहुत हो चुका साथ तुम्हारा
छोड़ो अब ये दुनियादारी
शिकवा गिला करूँ भी तो क्या
खूब निभाई तुम ने यारी
2
क्या कहना है छोड़ो अब सब
क्या पाया ? क्या दिल ने चाहा
आया कितनी बार राह में
मेरे जीवन में चौराहा ।
3
नए वर्ष के प्रथम दिवस पर
सब के थे संदेश ,बधाई
दिन भर रहा प्रतीक्षारत मैं
तुम को मेरी याद न आई ?
4
अलग राह क्यों सोचा तुम ने ?
ऐसा तो व्यक्तित्व
नहीं है
चाँद-चाँदनी का ही ले लो
अलग अलग अस्तित्व नहीं है
-आनन्द.पाठक-
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