1
साँसों में घुलने की चाहत
एक कल्पना, वो भी झूठी
अगर यही सच है तो बोलो
बिना बात फिर क्यों हो रूठी ?
2
दिल ही था जब बहलाना, तो
और बहुत तुम को मिल जाते
तौल तुम्हे देते
चाँदी से
चाँद सितारे भी वो लाते ।
3
मधुर कल्पना मधुमय सपनें
कर्ज़ तुम्हारा है, भरना है
जीवन तपती धरती जैसा
नंगे पाँव सफ़र करना
है
4
ये मत पूछो कैसे कैसे
तुम बिन वो दिन, कठिन ढले हैं
आज मिली तो लगता ऐसे
जनम जनम के बाद मिले हैं
-आनन्द.पाठक-
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