शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 22

 
1
साँसों में घुलने की चाहत
एक कल्पना, वो भी झूठी
अगर यही सच है तो बोलो
बिना बात फिर क्यों हो रूठी ?
 
2
दिल ही था जब बहलाना, तो
और बहुत तुम को मिल जाते
तौल तुम्हे  देते चाँदी  से
चाँद सितारे भी वो लाते ।
 
3
मधुर कल्पना मधुमय सपनें
कर्ज़ तुम्हारा है, भरना है
जीवन तपती धरती जैसा
नंगे पाँव  सफ़र करना है
 
4
ये मत पूछो कैसे कैसे
तुम बिन वो दिन, कठिन ढले हैं
आज मिली तो लगता ऐसे
जनम जनम के बाद मिले हैं


-आनन्द.पाठक-

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