अनुभूतियाँ 24
1
महके गुलशन में जब खूशबू
और हवाएँ हो आवारा
जितना जीना जी ले,पगले !
मिलता कब जीवन दोबारा !
2
इन कंधों पर बोझ अगर कुछ
इक तेरे जाने का है ग़म
वरना तो दिल बहलाने को
मैं हूँ ,यादें ,आँखें पुरनम ।
3
दान नहीं ,सौगात नहीं है
खुद ही सँवारा जीवन अपना
भला बुरा या जैसा भी है
मेरा जीवन ,मधुवन अपना
4
उन बातों को दुहराना क्या
घुमा-फिरा कर बात वही है
छोड़ो अब सब बीती बातें
कौन ग़लत था ,कौन सही है
-आनन्द.पाठक-
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