शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 25

 
1
दो दिन के इक मुलाकात में
वर्ष वर्ष के सपने देखे
पागल था दिल दीवाना था
आमाल नहीं अपने देखे     
 
2
टूट चुका है दिल अन्दर से
तुमको नहीं दिखाई देगा
अन्दर अन्दर ही रोता है
तुमको नहीं सुनाई देगा
 
3
ऎ दिल ! सर क्यों पीट रहा है
बात ये क्या मालूम नहीं थी ?
जितनी भोली समझ रहा था
वो उतनी मासूम नहीं  थी
 
4
मेरा हँस कर मिलना जुलना
दुनिया ने कमजोरी समझा
मेरी ख़ामोशी को अकसर
लोगों ने मजबूरी समझा


आनन्द पाठक-

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