1
आँख खुली तो देखा मैने
धूप कहाँ से कहाँ चढ़ गई
और इधर सपनॊ में खोया
बात कहाँ से कहाँ बढ़ गई
2
छोड़ दिया हो तुम ने जिसको
कौन भला उसको अपनाए
इधर उधर कब तक भटकेगा
शाम को वापस घर को जाए
3
जीवन की जब शाम हुई है
सुधियों के कुछ दीप जले हैं
आजीवन था भाग दौड़ में
यादों से हम आज मिले हैं
4
शाम हुई अब घर को आ जा
थका हुआ होगा दिन भर का
कितनी खोंच लगा दी तुम ने
हाल किया क्या है चादर का
-आनन्द.पाठक-
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