शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 28

 

1
हाथ बढ़ा कर छूते कैसे
वक़्त के हाथों लुटे हुए थे
हाथ हमारे बौने- से थे
उस पर से वो  कटे हुए थे
2
बात तुम्हारी नहीं है,जानम!
बात ज़माने की, सबकी है?
सब की प्रेम कहानी यकसा
बात तुम्हें क्यों दिल पे लगी है?
3
तेरी ख़ुशियों में रहती है
दुनिया भर की साझेदारी
लेकिन जब तेरा ग़म होती
ढोने की तेरी लाचारी ।
4
छोड़ गए पूजा की थाली
धरे रह गए पत्रम-पुष्पम
कब तक रहूँ प्रतीक्षारत मै
तुम्हीं बता दो मेरे प्रियतम !

-आनन्द.पाठक-
 

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