अनुभूतियाँ 29
1
दिल है इक आवारा बादल
इधर उधर फिरते रहता है
कहीं दिखी जब प्यासी धरती
जल प्लावन करता रहता है
2
सोच रहा हूँ कैसे कैसे
रंग बदल कर लोग मिले थे
भीतर भीतर चल चले थे
ऊपर से तो सरल दिखे थे
3
वक़्त इधर क्या बदला मेरा
लोगों ने भी आँखें फेरी
कलतक आँखों की पुतली थे
आज उन्होने आँख तरेरी
4
रब ने दिया बहुत कुछ यूँ तो
नदियाँ, परबत, घाटी ,झरना
लेकिन साथ नहीं हो जब तुम
इन सब का मुझ को क्या करना
-आनन्द.पाठक-
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